हैदराबाद, 5 जनवरी : परोसने वाला अगर हमारा हो तो… पीछे की लाईन में बैठे तो भी कोई बात नहीं… के कहावत को सच साबित करने वाली , बीजेपी सरकार की एक और कारनामा हमें देखने को मिला है । रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध से पैदा हुए संकट के कारण सस्ते दाम पर आयात हो रही रूसी कच्चे तेल से पेट्रोल और डीजल के दाम कम घटा कर आम जनता को फायदा किया जा सकता है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पेट्रोल और डीजल की कीमतों को कम करने के बजाए निजी रिफाइनरियों को लाभ पहुँचाने में तुली हुई है। . रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने उतना कच्चा तेल खरीदा, जितना कि दत 10 साल में खरीदी थी। पिछले वर्ष के अप्रैल से अक्टूबर तक भारत ने रूस को कच्चे तेल के लिए 1.6 लाख करोड़ (20 बिलियन डालर) का भुगतान किया। यूक्रेन से लड़ने के लिए रूस के पास आवश्यक धन की कमी को देखते हुए भारत ने कूटनीति के आड में उसे 20 बिलियन डालर की आर्थिक सहायता प्रदान की। उसके बदले में कम दाम में भारत रूस से कच्च तेल खरीदी है। यह अतिशयोक्ति नहीं है कि युद्ध से पहले जितना रूस से खरीदता था, उससे 10 गुना ज्यादा है।
युद्द के चलते पश्चिमी देशों ने रूस को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाने के लिये कच्च तेल खरीदने पर प्रतिबंध अमल कर रहे है। गौरतलब है कि रूस को आधे से अधिक राजस्व कच्चे तेल के निर्यात से प्राप्त होता है। इसका फायदा उठाने के लिये भारत ने कूटनीतिक संबंधों के नाम पर एक कदम आगे बढ कर रूस को वित्तीय सहायता प्रदान की और कम दाम में कच्चे तेल को खरीद रही है। उसे रिफाइन कर अन्य यूरोपीय देशों को निर्यात करने वाली रिलायंस को अधिक मात्रा में आवंटित कर रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से पहले, रिलायंस के पास केवल 5 प्रतिशत रूसी कच्चा तेल खरीदा गया था। लेकिन वर्तमान में रिलायंस रिफाइनरी द्वारा खरीदे गए कुल कच्चे तेल का 33 प्रतिशत है।
रूस से आयातित सस्ते कच्चे तेल को इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, भारत पेट्रोलियम जैसी सरकारी कंपनियों को कम मात्रा में और निजी रिफाइनरियों को बड़ा हिस्सा आवंटित किया जा रहा है। लेकिन देश के 90 प्रतिशत लोगों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने वाली इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम जैसी सरकारी कंपनियां सस्ते दाम में आ रही रूस की कच्चे तेल के कम आवंटन के कारण लाभ वंचित रहे है। रूस की सस्ते दाम की कच्चा तेल से आम आदमी को नहीं जब्कि निजी रिफाईनरी कंपनियों को हो रहा है।