Monday - December 23, 2024

अदानी.. “ कोइला बकासुर ”..

1.6 लाख करोड़ों की परियोजना..अदानी को सौंपा गया

कोयले के खनन  से ध्वस्त हुआ हसदैव अरंड का जंगल

उपग्रह चित्र  बने ध्वस्त जंगल के सबूत

एक जमाने में एक राजा था। उसका एक दोस्त था और उस मित्र के प्रति राजा के दिल में अटूट प्रेम था। वह मित्र जो भी माँगता था बिना झिजक राजा दे दिया करता था।  वो दोस्त जिसके हाथ में आज से 30 साल पहले एक मिर्च भी नहीं थी, एक राजा के सहारे हजारों करोडों का मालिक बन गया। फिर भी, अपना  व्यापार को और भी विस्तारित करने की इच्छा के कारण उस मित्र को आदिवासियों की ज़मीन पर नजर पड़ी। उसका  असली कारण यह था कि उन जमीन के नीचे करोडों कीमती खान उपलब्ध है। राजा के करीबी दोस्त  होने के कारण उस जमीन को छीन लिया। उन्होंने हरा भरा जंगल को ध्वस्त कर दिया। यह कहानी चंदमामा कि किताब में नहीं छपी। लेकिन यह कहानी नहीं बल्कि हकीकत है। एक कड़वी सच है। इस कहानी का राजा..अपने प्रधान मंत्री है। छत्तीसगढ़ के हरा भरा जंगल को ध्वस्त करने वाला दोस्त अदानी है। वह जंगल छत्तीसगढ स्थित हसदेव अरंड कोइला खान है।

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(विशेष ब्यूरो)

हैदराबाद, 7जनवरी : केंद्र की भाजपा सरकार की नीतियां न सिर्फ कॉरपोरेट संस्थाओं के जेब भरने के ही नहीं बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रहे है। देश के सबसे बड़े घने जंगलों में से एक छत्तीसगढ़ हसदेव अरंडो में अदानी के का विशाल कोयला भंडार का खनन, घने जंगल का विनाश, खनन प्रक्रिया के लिये प्राप्त करने की गई हेराफेरी और इसमें भाजपा सरकार का मदद.. एक-एक करके सामने आ रहे है। इस कांगड के संबंध में तेलंगाना की प्रमुख तेलुगु दैनिक नमस्ते तेलंगाना में एक विशेष लेख प्रकाशित किया गया ।

झुग्गी बस्ती की तरह..

अरंडो अभयारण्य उत्तरी छत्तीसगढ़ के तीन जिले- सरगुजा, सुजापुर और कोरबालो में 1800 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां सदियों से सैकड़ों आदिवासी जन जातियां बसे हुए हैं। इस जंगल की जमीन के नीचे हजारों टन बॉक्साइट, मैंगनीज और चूना का पत्थर के भंडार हैं। इसके अलावा, यह अनुमान लगाया गया है कि इन जमीन के नीचे 500 करोड़ टन कोयला का भंडार है। ये भण्डार जादा गहराई में नहीं बल्कि जमीन के ऊपर से काफी कम खनन से ही उपलब्ध हो जाएगा ।  कोयला खनन व्यापार में पहले से ही कदम रख चुके अदानी गृप ..यहां की कोयला खदानों को सस्ते में अपने कब्जे में लेना चाहता था। 2007 में, तत्कालीन यूपीए सरकार ने उस भंडारन कोयले के खान को 23 ब्लॉकों में विभाजित किया । बादम में परसा ईस्ट कांटे बसन (पीईकेबी) नाम से छह ब्लॉकों के लिए निविदाएं बुलाई। तब देश में बिजली संकट के चलते सरकार द्वारा संचालित बिजली कंपनियों को टेंडर में प्राथमिकता दी गई थी। यह टेंडर राजस्थान के राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आर) को प्राप्त हुआ था।  उस समय राजस्थान में भाजपा की सरकार का शासन चल रहा था।  नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। प्राप्त समाचारों के अनुसार अदानी ग्रप ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी से संपर्क किया और  पीईकेबी ब्लॉक कोयला खदान को खरीद ने का पेशकश किया। रातों-रात कोयला खनन के लिए आउटसोर्सिंग के आधार पर कोइला खनना कार्यों का ठेका अदानी गृप को सौपा गया । जिस से उन अफवाहों को पुष्ठी मिला कि या ठेका दिलाने में तत्कालीन गुजरात सीएम मोदी द्वारा दबाव डाला गया। दूसरे साल, पर्सा कंटे कालरीस (पीकेसीएल) के नाम से आरवीयूएनएल के साथ मिलकर एक जाइंट वेंचर का गठन किया गया जिस में 74 प्रतिशत की भागीदारी अदानी एंटरप्राइजेस को दिया गया। 2014 में  अदानी एंटरप्राईजेसने ने उस कोइला खान को हासिल करने का प्रयास की थी । जब्कि निविदा में उसे प्राप्त नहीं कर सकी। बाद में छत्तीसगढ में रमणसिंह के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी औ केंद्र में भी भाजपा सरकार आने से अदानी का सपना साकार बनने में आसान हो गया।  इस प्रकार .. अदानी ने वहां चार कोइला ब्लॉकों को हासिल किया । जिसका बाजार मूल्य 1.6 लाख करोड़ रुपये का कहा जा रहा है।

राजस्थान सरकार द्वारा संचालित बिजली कंपनी से राजनीतिक दबाव प्राप्त कोइला खान से पास में स्थित अदानी गृप के अन्य बिजली कंपनियों को सस्ते दाम पर कोयले की सप्लाई की जा रही है। प्रति टन 450 रूपये का दाम भुगतान किया जा रहा है। लेकिन राजस्थान सरकार के बिजली कंपनियों के लिये सप्लाई की जा रही ही कोइला के लिये प्रति टन 2,275 रुपये वसूल किया जा रहा है। यह जानकारी आर.टी.आई द्वारा दी गई एक दरखास्त से प्राप्त हुआ । दूसरी ओर, अदानी एंटरप्राईज को दी गई ठेके को रद्द करने मांग किया जा रहा है। सैकड़ों आदिवासी और स्थानीय लोगों द्वारा इस ठेखे के खिलाफ 2013 से आंदोलन किया जा रहा हैं। अवैध खनन के कारण आस-पास के  नदियाँ का जल भी प्रदूषित हो गये। इतना ही नहीं लाखों झाड ध्वस्त किये गये । काफी बडी विस्तार में जंगल को ध्वस्त किया गया है। आदिवासियों ने इस विध्वंस को लेकर हचदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति (एचएबीएसएस) के नेतृत्व में सैकड़ों किलोमीटर तक रैली निकाल कर अपना विरोध प्रदर्षण किया। वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य में मौजूद कांग्रेस सरकार ने पिछले वर्ष अक्टूबर में केंद्र को पत्र लिखा कि खनन गतिविधियों को रोक दिया जाए। फिर भी केंद्र सरकार चुप्पी साधी बैठी है।

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कालिख का टीला बन गया

15 साल के पहले हमाले गाँव में करीब 200 झोपिडियाँ रहते थे। पूरा गाँव हरा भरा रहता था। अब सभी लोग शहरों में पलायन कर चुके हैं।

-भोलेनाथ सिंह, केटे गाँव का निवासी।

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हसदेव अरंडो’ में अदानी एंटरप्राईजेस को कितने में ठेका मिला ?

कुल कोयला भंडार: 500 करोड़ टन

प्रति ब्लॉक कोयला भंडार: 45 करोड़ टन

प्रति ब्लॉक कोयले की लागत: रुपये। 41 हजार करोड़

अदानी एंटरप्राईजेस द्वारा कब्जा किए गए कुल ब्लॉक: 4

प्रोजेक्ट से अदानी का मुनाफा: 1.6 लाख करोड़ रुपए

यदि सभी कोयला खानों का आवंटन किया जाता है  तो होने वाला मुनाफा: रु. 4.5 लाख करोड़

पिछले 8 सालों में क्या फरक हुआ ?

अदानी एंटरप्राइजेस को खनन का ठेका मिलने के बाद से अरंडो हरियाली का ध्वस की गई जंगल: 1400 वर्ग किलो मीटर

यहाँ तेलंगाना में हरित हारम योजना के अंतर्गत पौधारोपन कर बडाया गया हरियाली : 1400 वर्ग किलो मीटर- तेलंगाना में हरियाली बडाया जा रहा है तो वहा प्रधान मंत्री के दोस अदानी अपनी संपत्ति बढाने के लिये हरे-भरे जंगलों को ध्वस्त कर रहे है।

(लेखक के. राजशेखर….साभार: नमस्ते तेलंगाना)

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