Monday - January 6, 2025

वंदे भारत रेल दुर्घटनाओं पर रेल्वे पुलिस की अजीब फैसला- गाँवों के सरपंच परेशान…

‘मेक इंडिया’ के नाम पर प्रधान मंत्री नरेंद्री मोदी सरकार द्वारा लाई गई ‘वंदे भारत’ ट्रेनों में दुर्घटनाओं की एक श्रृंखला के चलते रेलवे पुलिस अजीब फैसले ले रही है । उन फैसलों के कारण रेल्वे पुलिस को कई आलोचनाएँ का सामना करना पड रहा है। हाल में ‘वंदे भारत’ ट्रेनों के सामने गाय, भैंसों के भिढंत होने से उन ट्रेनों को मरम्मत की मरम्मत करना पडा। जिससे वंदे भारत रेलों के गुणवत्ता मानकों पर संदेह पैदा हो रहा है। इस परिप्रेक्ष्य में
महाराष्ट्र में मुंबई आरपीएफ पुलिस का रवैया विवादास्पद बन गया है। आरपीएफ पुलिस ने रेलवे ट्रैक की सीमा पर स्थित ग्राम प्रधानों को नोटिस जारी किया है. जिसमें स्पष्ट किया कि पशुओं को ( गाय, भैंस) रेलवे ट्रैक की ओर न आने दिया जाए, अन्यथा उन्हें जेल भेज दिया जाएगा। कहा जाता है कि मवेशी रेलवे ट्रैक पर घूमते हैं, जिससे ट्रेन दुर्घटनाएं होती हैं और यात्रियों की जान को खतरा होता है। ज्ञातव्य है कि गत अक्तूबर माह वंदे मातरम ट्रेन से पशुओं के भिडंत होने के तीन दुर्घटनाएं हुए। महाराष्ट्र के पाल्घर से सूरत के बीच स्थित रेल मार्ग में कई गाँव ऐसे है, जहाँ काफी संख्या में रहते हैं। उक्त पशुओं के रेल्वे ट्रेक के बीच आने से वंदेमातरम ट्रेल के आवागमन बाध पहुँचने का उल्लेख करते हुए रेल्वे पुलिस ने उन गाँव सरपंचों( प्रधानों)सहित गाँव वासियों को 1000 से ज्यादा नोटीस थमाया।

रेल में सुविधाएं तो ठीक हैं.. सुरक्षा का क्या होगा ?
2019 में पहली बार ‘वंदे भारत’ ट्रेन शुरू किया गया है। तीन साल बाद आधुनिक सुविधाओं के साथ 30 सितंबर को मुंबई और गांधीनगर (गुजरात) के बीच तीसरे वंदे मातरम रेल को प्रधान मंत्री मोदी ने हरी झंडी दिखाया। तेल रफ्तार के साथ इस ट्रेन में ऑटोमेटेड दरवाजे, इंटरनेट सुविधा, बायो वैक्यूम टाइप शौचालय, दिव्यांगों के लिए विशेष सुविधा, प्रत्येक कोच के लिए टीवी, सीसीटीवी, पेंट्री जैसे आधुनिक सुविधाओं से युक्त वंदे भारत रेल बनाया गया है।
लेकिन एक छोटे से हादसे में ट्रेन का अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाने से यात्रियों की सुरक्षा को लेकर संशय बना हुआ है।यात्रियों के सवाल यह है कि क्या सिर्फ बैर से टकराने से ट्रेन क्षतिग्रस्त हो सकती है? क्या ट्रेन को इतना हल्के से बनाया जाएगा? 2024 तक 75 ‘वंदे भारत’ ट्रेनें चलाने का लक्ष्य रखने वाली भारतीय रेलवे के लिये और ‘मेकन इंडिया’ के नाम से भारत को विश्व स्तर पर पहचान बनाने की योजना बनाने वाली मोदी सरकार के लिए ये मामला एक चुनौती बन गया ।

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